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आज के इस इंसान को, ये क्या हो गया लिरिक्स

आज के इस इंसान को, ये क्या हो गया लिरिक्स
हिंदी

आज के इस इंसान को,

ये क्या हो गया,

इसका पुराना प्यार,

कहाँ पर खो गया।।

कैसी यह मनहूस घड़ी है,

भाइयों में जंग छिड़ी है,

कहीं पे खून, कहीं पर ज्वाला,

जाने क्या है होने वाला,

सब का माथा आज झुका है,

आज़ादी का जुलूस रुका है,

चारों ओर दग़ा ही दग़ा है,

हर छुरे पर खून लगा है,

आज दुखी है जनता सारी,

रोते हैं लाखों नर-नारी,

रोते हैं आँगन, गलियारे,

रोते आज मोहल्ले सारे,

रोती सलमा, रोती है सीता,

रोते हैं कुरआन और गीता,

आज हिमालय चिल्लाता है,

कहाँ पुराना वो नाता है,

डँस लिया सारे देश को, ज़हरी नागों ने,

घर को लगा दी आग, घर के चिरागों ने।।

आज के इस इंसान को,

ये क्या हो गया,

इसका पुराना प्यार,

कहाँ पर खो गया।।

अपना देश था, वो देश था भाई,

लाखों बार मुसीबत आई,

इंसानों ने जान गँवाई,

पर बहनों की लाज बचाई,

लेकिन अब वो बात कहाँ है,

अब तो केवल घात यहाँ है,

चल रही हैं उलटी हवाएँ,

काँप रही थर थर अबलाएँ,

आज हर एक आँचल को है ख़तरा,

आज हर एक घूँघट को है ख़तरा,

ख़तरे में है लाज बहन की,

ख़तरे में चूड़ियाँ दुल्हन की,

डरती है हर पाँव की पायल,

आज कहीं हो जाए न घायल,

आज सलामत कोई न घर है,

सब को लुट जाने का डर है,

हमने अपने वतन को देखा,

आदमी के पतन को देखा,

आज तो बहनों पर भी हमला होता है,

दूर किसी कोने में मजहब रोता है।।

आज के इस इंसान को,

ये क्या हो गया,

इसका पुराना प्यार,

कहाँ पर खो गया।।

किस के सर इल्ज़ाम धरे हम,

आज कहाँ फ़रियाद करें हम,

करते हैं जो आज लड़ाई,

सब के सब हैं अपने ही भाई,

सब के सब हैं यहाँ अपराधी,

हाय मोहब्बत सब ने भुला दी,

आज बही जो खून की धारा,

दोषी उसका समाज है सारा,

सुनो ज़रा ओ सुनने वालो,

आसमान पर नज़र घुमा लो,

एक गगन में करोड़ों तारे,

रहते हैं हिलमिल के सारे,

कभी न वो आपस में लड़ते,

कभी न देखा उनको झगड़ते,

कभी नहीं वो छुरे चलाते,

नहीं किसी का खून बहाते,

लेकिन इस इंसान को देखो,

धरती की संतान को देखो,

कितना है यह हाय कमीना,

इसने लाखों का सुख छीना,

की है जो इसने आज तबाही,

देगें उसकी यह मुखड़े गवाही,

आपस की दुश्मनी का यह अंजाम हुआ,

दुनिया हँसने लगी, देश बदनाम हुआ।।

आज के इस इंसान को,

ये क्या हो गया,

इसका पुराना प्यार,

कहाँ पर खो गया।।

कैसा यह ख़तरे का पहर है,

आज हवाओं में भी ज़हर है,

कहीं भी देखो बात यही है,

हाय भयानक रात यही है,

मौत के साए में हर घर है,

कब क्या होगा, किसे खबर है,

बंद हैं खिड़की, बंद हैं द्वारे,

बैठे हैं सब डर के मारे,

क्या होगा इन बेचारे का,

क्या होगा इन लाचारों का,

इनका सब कुछ खो सकता है,

इन पे हमला हो सकता है,

कोई रक्षक नज़र ना आता,

सोया है आकाश पे दाता,

ये क्या हाल हुआ अपने संसार का,

निकल रहा है आज जनाज़ा प्यार का।।

आज के इस इंसान को,

ये क्या हो गया,

इसका पुराना प्यार,

कहाँ पर खो गया।।