श्लोक –
चैत महीना और अश्विन में,
आते माँ के नवरात्रे,
मुँह माँगा वर उनको मिलता,
जो दर पर चलकर आते।।
आए नवरात्रे माता के,
आए नवरात्रे माता के,
आते हैं हर साल नवराते माता के,
आए नवरात्रे माता के,
जय हो नवरात्रे माता के,
मैं पूजूँ हर बार नवरात्रे माता के।।
पहले नवराते चैत री बीज,
माँ की ज्योत जगाओ,
दूजे नवराते मैया को,
प्यार के साथ मनाओ।।
फिर तीजे नवरात मात की,
पूजा करते रहना,
जय माता दी, जय माता की,
श्वास–श्वास है कहना।।
चौथा नवराता फलदायक,
वेदों ने गुण गाया,
पंचम नवराते में पांडव,
माँ का भवन बनाया।।
षष्ठी की नवरात में ध्यानु,
माँ का दर्शन पाया,
लाज भगत की रख ली माँ ने,
अकबर का मान घटाया।।
सप्तमी के दिन सात देवियां,
भक्तों को वर देती,
रिद्धि सिद्धि के खोल भंडारे,
भक्तों के घर भरती।।
अष्टमी का दिन है प्यारा,
कन्या पूजन कर लो,
माँ गौरी का दर्शन करके,
खाली झोली भर लो।।
और नवमी के दिन में भक्तो,
माँ के दर्शन पाओ,
शीश झुका मैया के दर पे,
जय माता दी गाओ।।
आए नवरात्रे माता के,
आए नवरात्रे माता के,
आते हैं हर साल नवराते माता के,
आए नवरात्रे माता के,
जय हो नवरात्रे माता के।।