श्लोक –
लाल लंगोटा हाथ में सोटा,
झांकी अपरम्पार,
रूप अनोखा आज सजा है,
बोलो जय जयकार।।
बजरंग की झांकी है अपार,
सजा है दरबार भजन हम गाएंगे,
बाबा की झांकी है अपार,
हनुमत की झांकी है अपार,
सजा है दरबार भजन हम गाएंगे।।
राम राम बोलो जय जय सीताराम,
राम राम बोलो जय जय हनुमान।।
लाल ध्वजा और लाल लंगोटा,
तन पे लाल सिंदूर, तन पे लाल सिंदूर,
गदा विराजे हाथ में जिनके,
मुख पे बरसत नूर, मुख पे बरसत नूर,
चरणों में होके बलहार, बोलेंगे जय जयकार,
भजन हम गाएंगे,
बाबा की झांकी है अपार,
सजा है दरबार भजन हम गाएंगे।।
राम राम बोलो जय जय सीताराम,
राम राम बोलो जय जय हनुमान।।
दिल में उमंगें लेके भगत जन,
झूम रहे चहुँ और, झूम रहे चहुँ और,
दर्शन की आशा है लगाए,
होकर भाव विभोर, होकर भाव विभोर,
आके खड़े है नर नार, फूलों का लेके हार,
भजन हम गाएंगे,
हनुमत की झांकी है अपार,
सजा है दरबार भजन हम गाएंगे।।
राम राम बोलो जय जय सीताराम,
राम राम बोलो जय जय हनुमान।।
धन्य वो आँखे आज निहारे,
बाबा की तस्वीर, बाबा की तस्वीर,
बाल मंडल बिगड़ी बन जाये,
भक्तो की तक़दीर, भक्तो की तक़दीर,
शीश नवालो बारम्बार, हो जाये बेडा पार,
भजन हम गाएंगे,
हनुमत की झांकी है अपार,
सजा है दरबार भजन हम गाएंगे।।
राम राम बोलो जय जय सीताराम,
राम राम बोलो जय जय हनुमान।।
बजरंग की झांकी है अपार,
सजा है दरबार भजन हम गाएंगे,
बाबा की झांकी है अपार,
हनुमत की झांकी है अपार,
सजा है दरबार भजन हम गाएंगे।।