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छाई सावन की घटा कांधे पे कांवड़ उठा लिरिक्स

हिंदी

छाई सावन की घटा,

कांधे पे कांवड़ उठा,

ध्यान चरणों में लगा,

चल शिव के द्वारे।।

शिव बड़े दातार हैं,

जाने क्या से क्या करें,

भक्त जो महाकाल का,

काल से वो क्यों डरे,

चल ज़रा विनती सुना,

बिगड़ी अपनी ले बना,

कांधे पे कांवड़ उठा,

चल शिव के द्वारे।।

छाई सावन की घटा,

कांधे पे कांवड़ उठा,

ध्यान चरणों में लगा,

चल शिव के द्वारे।।

दे दी थी लंकेश को,

सोने की लंका दान में,

छोड़कर महलों के सुख,

जो रहे श्मशान में,

गंगा जल उनको चढ़ा,

भाग्य ले अपना जगा,

कांधे पे कांवड़ उठा,

चल शिव के द्वारे।।

छाई सावन की घटा,

कांधे पे कांवड़ उठा,

ध्यान चरणों में लगा,

चल शिव के द्वारे।।

श्याम सुंदर भोले बाबा,

को मना कर देख ले,

‘लख्खा’ के संग तू भी कांवड़,

चल उठाकर देख ले,

फिर काम चाहे जो करा,

झोली क्या झोले भरा,

कांधे पे कांवड़ उठा,

चल शिव के द्वारे।।

छाई सावन की घटा,

कांधे पे कांवड़ उठा,

ध्यान चरणों में लगा,

चल शिव के द्वारे।।