छुपे बैठे हो कण कण में,
भला मैं कैसे पहचानूं,
दुई का दूर कर पर्दा,
सामने आओ तो जानूं।।
छुपे माया के पर्दे में,
क्या मुझसे शर्म आती है,
ये घूंघट दरमियां पर्दा,
हटा दोगे तो मैं जानूं,
दुई का दूर कर पर्दा,
सामने आओ तो जानूं।।
सुना है चाहने वालों से,
हसीनों से हसीं हो तुम,
तो चेहरे से ज़रा चिल्मन,
हटा दोगे तो मैं जानूं,
दुई का दूर कर पर्दा,
सामने आओ तो जानूं।।
ये सूरज चाँद से ज़्यादा,
अजब जो नूर है तेरा,
मेरे दिल में वही ज्योति,
जगा दो तो मैं जानूं,
दुई का दूर कर पर्दा,
सामने आओ तो जानूं।।
अंधेरी रात क़त्ती दूर,
नैया भी भंवर में है,
मेरी नैया किनारे से,
लगा दोगे तो मैं जानूं,
दुई का दूर कर पर्दा,
सामने आओ तो जानूं।।
छुपे बैठे हो कण कण में,
भला मैं कैसे पहचानूं,
दुई का दूर कर पर्दा,
सामने आओ तो जानूं।।