KirtanLyrics Logo

KirtanLyrics

गगरिया फोड़ दी मेरी

हिंदी

अरी मैया कन्हैया की,

शरारत क्या कहूँ नटखट की,

गगरिया फोड़ दी मेरी,

गगरिया फोड दी मेरी,

की आकर पाछे से चुपके,

तेरे इस छलिया ने कान्हा ने,

मटकिया फोड़ दी मेरी,

मटकिया तोड़ दी मेरी।।

अंधेरी रात में आकर,

मेरा माखन चुराता है,

मेरा माखन चुराता है,

ये लड़ता है झगड़ता है,

मुझे आँखें दिखाता है,

मुझे आँखें दिखाता है,

चुनरिया खिंच कर मेरी,

वो मारा हाथ घूँघट पट पे,

नथनियाँ तोड़ दी मेरी,

गगरिया फोड दी मेरी,

गगरिया तोड़ दी मेरी।।

फसाकर मुझको बातों में,

सदा घर पे बुलाती है,

सदा घर पे बुलाती है,

अगर इंकार करूँ मैया,

शिकायत लेकर आती है,

उलाहना लेके आती है,

ये झूठी है जमाने की,

मिली थी कल मुझे पनघट पे,

बाँसुरिया तोड़ दी मेरी,

मुरलिया तोड़ दी मेरी।।

ये झगड़ा गोपी कान्हा का,

निराला है अनोखा है,

निराला है अनोखा है,

बिहारी से हाँ मिलने का,

सुनहरा ये ही मौका है,

सुनहरा ये ही मौका है,

मैं बलिहारी री मैं वारी,

कन्हैया को बिठाकर घर में,

लगनिया जोड़ दी मेरी,

लगनिया जोड़ दी मेरी।।

अरी मैया कन्हैया की,

शरारत क्या कहूँ नटखट की,

गगरिया फोड़ दी मेरी,

गगरिया फोड दी मेरी,

की आकर पाछे से चुपके,

तेरे इस छलिया ने कान्हा ने,

मटकिया फोड़ दी मेरी,

मटकिया तोड़ दी मेरी।।

📜 Lyrics Source: kirtanLyrics.com