श्लोक
है रहमत तेरी माँ,
पल पल बरसे,
जाए नहीं खाली,
कभी सवाली दर से।।
हुई है सदा ही मेरी मात सहाई,
ऊँची चढ़ाई,
आया जो चढ़के,
द्वार मैया के ये ऊँची चढ़ाई,
ऊँची चढ़ाई,
तिरकुट पर्वत पर बसे महामाई,
ऊँची चढ़ाई, ऊँची चढ़ाई।।
सर्दी हो गर्मी चाहे, बारिश का मौसम,
रुकते नहीं हैं, आगे बढ़ते कदम,
जय जयकार पूरे रस्ते, देती सुनाई,
द्वार मैया के आया जो चढ़के,
ऊँची चढ़ाई, ऊँची चढ़ाई।।
आते हैं दूर दूर से नाम दीवाने,
सबके दिलों की इच्छा मैया ही जाने,
आशा की पूरी नहीं देर लगाई,
आया जो चढ़के,
द्वार मैया के ये ऊँची चढ़ाई,
ऊँची चढ़ाई, ऊँची चढ़ाई।।
भाग सँवर गए माँ की कृपा से,
खुशियों से झोली भरी सब दुःख नाशे,
चरणों की धूलि जो माथे लगाई,
आया जो चढ़के,
द्वार मैया के ये ऊँची चढ़ाई,
ऊँची चढ़ाई, ऊँची चढ़ाई।।
हुई है सदा ही मेरी मात सहाई,
ऊँची चढ़ाई,
आया जो चढ़के,
द्वार मैया के ये ऊँची चढ़ाई,
ऊँची चढ़ाई,
तिरकुट पर्वत पर बसे महामाई,
ऊँची चढ़ाई, ऊँची चढ़ाई।।