झूले राधा प्यारी,
झुलाए रहे बाँके बिहारी।।
रेशम डोर कदम्ब बंधवाई,
कंचन पाती रतन जड़ाई,
वा पर भानु दुलारी,
झुलाए रहे बाँके बिहारी,
झूले राधा प्यारी,
झुलाए रहे बाँके बिहारी।।
रिमझिम-रिमझिम सावन बरसे,
सज श्रृंगार चली घर से,
देखन सब ब्रज नारी,
झुलाए रहे बाँके बिहारी,
झूले राधा प्यारी,
झुलाए रहे बाँके बिहारी।।
झूले श्यामा श्याम झुलावे,
सखियाँ राग मल्हार सुनावे,
मुरली बजे मतवाली,
झुलाए रहे बाँके बिहारी,
झूले राधा प्यारी,
झुलाए रहे बाँके बिहारी।।
तोता मैना कोयल बोले,
नाचे मोर मगन मन डोले,
महक रही फुलवारी,
झुलाए रहे बाँके बिहारी,
झूले राधा प्यारी,
झुलाए रहे बाँके बिहारी।।
झोंटा देत करे झकझोरी,
झूले जब श्री राधे गौरी,
‘लख्खा’ बिहारी जाए बलहारी,
झुलाए रहे बाँके बिहारी,
झूले राधा प्यारी,
झुलाए रहे बाँके बिहारी।।