कान्हा की दीवानी,
मीरा हो गई बदनाम।।
श्लोक –
राम तने रंग राची मैं तो,
साँवरिया रंग राची,
कोई कहे मीरा बाँवरी,
कोई कहे मदमाती।।
कान्हा की दीवानी,
मीरा हो गई बदनाम,
कान्हा की दीवानी,
दीवानी कान्हा की,
मीरा हो गई बदनाम,
अपने तन की सुध-बुध भूली,
भूले जग के काम,
कान्हा की दीवानी,
मीरा हो गई बदनाम।।
प्रेम के पथ पर,
प्रेम पुजारन,
पी का प्यार लिए,
पी का प्यार लिए,
श्याम की माला जपते-जपते,
पी गई ज़हर का जाम,
कान्हा की दीवानी,
मीरा हो गई बदनाम।।
रंग पिया के,
रंग ली चुनरिया,
ले इकतारा चली,
ले इकतारा चली,
रानी ये भी न जानी,
कब दिन हुआ, कब शाम,
कान्हा की दीवानी,
मीरा हो गई बदनाम।।
स्वप्न सुनहरे,
महल दो महले,
खुशियों का संसार,
खुशियों का संसार,
‘लख्खा’ त्याग दिया मीरा ने,
सुख का सब आराम,
कान्हा की दीवानी,
मीरा हो गई बदनाम।।
प्रेम जो देखा,
पावन उसका,
मिल गए मदन गोपाल,
मिल गए मदन गोपाल,
राधा रुक्मणी को न मिला जो,
वो मिला सम्मान,
कान्हा की दीवानी,
मीरा हो गई बदनाम।।
कान्हा की दीवानी,
मीरा हो गई बदनाम,
कान्हा की दीवानी,
दीवानी कान्हा की,
मीरा हो गई बदनाम,
अपने तन की सुध-बुध भूली,
भूले जग के काम,
कान्हा की दीवानी,
मीरा हो गई बदनाम।।