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कन्हैया को एक रोज रो के पुकारा कृपा पात्र किस दिन बनूँगा तुम्हारा

कन्हैया को एक रोज रो के पुकारा कृपा पात्र किस दिन बनूँगा तुम्हारा
हिंदी

कन्हैया को एक रोज रो के पुकारा,

कृपा पात्र किस दिन बनूँगा तुम्हारा।।

मेरे साथ होता है प्रतिक्षण तमाशा,

है आंखों में आंसू और दिल में निराशा,

कई जन्मों से पथ पे पलकें बिछाई,

ना पूरी हुई एक भी दिल की आशा,

सुलगती विरह की करो आग ठंडी,

भटकती लहर को दिखा दो किनारा,

कन्हैया को एक रोज रो के पुकारा,

कृपा पात्र किस दिन बनूँगा तुम्हारा।।

कभी बांसुरी लेके इस तट पे आओ,

कभी बनके घन मन के अंबर पे छाओ,

बुझा है मेरे मन की कुटिया का दीपक,

कभी करुणा दृष्टि से इसको जलाओ,

बता दो कभी अपने श्री मुख कमल से,

कहाँ खोजने जाऊँ अब और सहारा,

कन्हैया को एक रोज रो के पुकारा,

कृपा पात्र किस दिन बनूँगा तुम्हारा।।

कुछ हैं जो हुस्न पे नाज़ करते हैं,

कुछ हैं जो दौलत पे नाज़ करते हैं,

मगर हम गुनहगार बंदे हैं ऐ कन्हैया,

सिर्फ तेरी रहमत पे नाज़ करते हैं।।

कभी मेरी बिगड़ी बनाने को आओ,

कभी सोये भाग जगाने तो आओ,

कभी मन की निर्बलता को बख्शो शक्ति,

कभी दिल का साहस बढ़ाने तो आओ,

कभी चरण अपने धुलाओ तो जानूं,

बहा दी है नैनों से जमुना की धारा,

कन्हैया को एक रोज रो के पुकारा,

कृपा पात्र किस दिन बनूँगा तुम्हारा।।

लटकते हुए बीत जाए ना जीवन,

भटकते हुए बीत जाए ना जीवन,

चौरासी के चक्कर में हे चक्रधारी,

भटकते हुए बीत जाए ना जीवन,

संभालो ये जीवन ऐ जीवन के मालिक,

मेरा कुछ नहीं, आप जीते मैं हारा,

कन्हैया को एक रोज रो के पुकारा,

कृपा पात्र किस दिन बनूँगा तुम्हारा।।

कहो और कब तक रिझाता रहूं मैं,

बदल कर नए वेश आता रहूं मैं,

कथा वेदना की सुनते सुनाते,

हरे घाव दिल के दिखाता रहूं मैं,

ना मरहम लगाओ, ना हँस कर निहारो,

कहो किस तरह होगा अपना गुज़ारा,

कन्हैया को एक रोज रो के पुकारा,

कृपा पात्र किस दिन बनूँगा तुम्हारा।।

कन्हैया को एक रोज रो के पुकारा,

कृपा पात्र किस दिन बनूँगा तुम्हारा।।