मानो तो वो शिव शंकर है,
ना मानो तो पत्थर प्राणी,
विश्वास है जिनके मन में,
मिलते हैं उसे शिव दानी।
मानो तो वो शिव शंकर है,
ना मानो तो पत्थर प्राणी।।
युग युग से सब जपते आये,
जिनके नाम की माला,
स्वयं है बैठे ज्योतिर्लिंग में,
शंकर डमरू वाला।
सब वेद पुराण बताते,
शिवलिंग की अमर कहानी,
मानो तो वो शिव-शंकर है,
ना मानो तो पत्थर प्राणी।।
नर नारी क्या देवी-देव भी,
आकर शीश नवाते,
भोले की परिक्रमा करके,
हर हर बम बम गाते।
जिनके चरणों की सेवा,
करती गौरा महारानी,
मानो तो वो शिव शंकर है,
ना मानो तो पत्थर प्राणी।।
श्रीराम प्रभु भी आकर,
चरणों में फूल चढ़ाये,
इस पत्थर की पूजा कर वो,
मनवांछित फल पाये।
लंका जीती और मारे,
रावण जैसे अभिमानी,
मानो तो वो शिव-शंकर है,
ना मानो तो पत्थर प्राणी।।
डमरू वाले की चौखट पर,
कोई भी प्राणी आये,
सच्चे मन से बस एक लौटा,
गंगाजल का चढ़ाये।
‘शर्मा’ कट जाती उसकी,
जीवन भर की परेशानी,
मानो तो वो शिव-शंकर है,
ना मानो तो पत्थर प्राणी।।
मानो तो वो शिव शंकर है,
ना मानो तो पत्थर प्राणी,
विश्वास है जिनके मन में,
मिलते हैं उसे शिव दानी।
मानो तो वो शिव शंकर है,
ना मानो तो पत्थर प्राणी।।