मैं भीख माँग रया हाँ,
ओ बाबा थारे द्वार।
जनम जनम का,
काट के बंधन,
कर दो भव से पार।
मैं भीख माँग रया हाँ,
ओ बाबा थारे द्वार।।
थारा नाम सुण्या जद आया,
थाने दुःख दर्द सुणाया।
सबकी खातिर खुल्यो है बाबा,
यो तेरो दरबार।।
मैं भीख माँग रया हाँ,
ओ बाबा थारे द्वार।
जनम जनम का,
काट के बंधन,
कर दो भव से पार।
मैं भीख माँग रया हाँ,
ओ बाबा थारे द्वार।।
चरणा में शीश नवावा,
मै तो थारा ही गुण गाँवा।
करवा द्यो चरणन की सेवा,
ओ लीले असवार।।
मैं भीख माँग रया हाँ,
ओ बाबा थारे द्वार।
जनम जनम का,
काट के बंधन,
कर दो भव से पार।
मैं भीख माँग रया हाँ,
ओ बाबा थारे द्वार।।
खाटु के श्याम बिहारी,
माँगा ना महल अटारी।
खाली झोली आज फैलाई,
दीजो कुछ भी डार।।
मैं भीख माँग रया हाँ,
ओ बाबा थारे द्वार।
जनम जनम का,
काट के बंधन,
कर दो भव से पार।
मैं भीख माँग रया हाँ,
ओ बाबा थारे द्वार।।
नैनो की प्यास बुझा दो,
अमृत की बून्द पीला दो।
यो ‘लख्खा’ थारी महिमा गावे,
सुण लो करुण पुकार।।
मैं भीख माँग रया हाँ,
ओ बाबा थारे द्वार।
जनम जनम का,
काट के बंधन,
कर दो भव से पार।
मैं भीख माँग रया हाँ,
ओ बाबा थारे द्वार।।