मैं तुम्हे कभी तो पाऊँगी,
मेरे जन्मों के साथी सजन,
मैं तुम्हे कभी तो पाऊँगी ।।
पग नूपुर की झंकारों से,
भावों भरे मधुर इशारों से,
साँसों के पंखों से उड़कर,
तारों तक खोज लगाऊँगी,
मैं तुम्हे कभी तो पाऊँगी ।।
योगन का भेष बनाकर के,
इस जग से आँख बचाकर के,
मन के इकतारे पे साजन,
मैं गीत विरह के गाऊँगी,
मैं तुम्हे कभी तो पाऊँगी ।।
तुम छुपना राधा के मन में,
मधुवन की रंगीली कुंजन में,
मैं बन कर ललिता की वीणा,
थिरको पर तुम्हे नचाऊँगी,
मैं तुम्हे कभी तो पाऊँगी ।।
मैं तुम्हे कभी तो पाऊँगी,
मेरे जन्मों के साथी सजन,
मैं तुम्हे कभी तो पाऊँगी ।।