श्लोक –
माँ नाम लेना कोई शर्म नहीं है,
इससे बड़ा तो कोई करम नहीं है,
जिसमे माता की पूजा का ज़िक्र न हो,
ऐसा तो दुनिया में कोई धर्म नहीं है।
मैया कृपा कर दो झोली मेरी भर दो,
तेरी दया का हम सदा गुणगान करेंगे,
तेरा ध्यान करेंगे,
मैया कृपा कर दो झोली मेरी भर दो।।
भक्तों की करती हरदम रखवाली हो,
हर संकट को पलभर में तुम टाली हो,
फिर क्यों नहीं तुम पर भला अभिमान करेंगे,
तेरा ध्यान करेंगे,
मैया कृपा कर दो झोली मेरी भर दो।।
मेरी विनती सुनकर मत ठुकरा देना,
अपना बालक जान मुझे अपना लेना,
अर्पण तुम्हारी सेवा में हम प्राण करेंगे,
तेरा ध्यान करेंगे,
मैया कृपा कर दो झोली मेरी भर दो।।
दृष्टि दया शर्मा पे माँ अब तो कर दो,
अपने भक्तों की मैया झोली भर दो,
हरदम तुम्हारे नाम का गुणगान करेंगे,
नित ध्यान करेंगे,
मैया कृपा कर दो झोली मेरी भर दो।।
मैया कृपा कर दो झोली मेरी भर दो,
तेरी दया का हम सदा गुणगान करेंगे,
तेरा ध्यान करेंगे,
मैया कृपा कर दो झोली मेरी भर दो।।