दोहा –
यहाँ जो हर तरफ, उजाला सा दिखाई देता है,
श्याम की ज्योति का, जलवा दिखाई देता है।
यही इच्छा है मेरी ऐ श्याम, वहाँ जा के दम निकले,
जहाँ से तेरा द्वारा दिखाई देता है।।
मर कर भी है अमर,
जो दीवाने है श्याम के,
ऐलान अपना कर,
ऐलान अपना कर,
ऐलान अपना कर,
जो दीवाने है श्याम के,
मर कर भी है अमर,
जो दीवाने है श्याम के।।
किया श्याम से मीरा प्यार,
छोड़ा राज पाठ परिवार,
ज़हर को अमृत बना दिया,
नाग बना सोने का हार,
करते नहीं फ़िकर,
करते नहीं फ़िकर,
करते नहीं फ़िकर,
जो दीवाने है श्याम के,
मर कर भी है अमर,
जो दीवाने है श्याम के।।
पाँचों पांडव थे बलवान,
श्याम श्याम रटे सुबहो-शाम,
महाभारत में अर्जुन के,
श्याम बन गए रखवाल,
जीतेंगे युद्ध जबर,
जीतेंगे युद्ध जबर,
जीतेंगे युद्ध जबर,
जो दीवाने है श्याम के,
मर कर भी है अमर,
जो दीवाने है श्याम के।।
मित्र सुदामा निर्धन के,
महल बनाए कंचन के,
लाज बचाने नरसी की,
पहुँच गए खाती बनके,
भक्ति में था असर,
भक्ति में था असर,
भक्ति में था असर,
जो दीवाने है श्याम के,
मर कर भी है अमर,
जो दीवाने है श्याम के।।
श्याम नाम को गाएँगे,
नाम अमर कर जाएँगे,
श्याम धणी के दर से तो,
जो चाहेंगे पाएँगे,
‘लक्खा’ कहे ‘तंवर’,
‘लक्खा’ कहे ‘तंवर’,
‘लक्खा’ कहे ‘तंवर’,
जो दीवाने है श्याम के,
मर कर भी है अमर,
जो दीवाने है श्याम के।।
मर कर भी है अमर,
जो दीवाने है श्याम के,
ऐलान अपना कर,
ऐलान अपना कर,
ऐलान अपना कर,
जो दीवाने है श्याम के,
मर कर भी है अमर,
जो दीवाने है श्याम के।।