दोहा – कह रहा है जमाना, तेरे नाम पे श्याम बाबा,
सभी का मददगार है।
फिर भला जा के, फरियाद किससे करूँ,
कौन हमदर्द तुमसा, और गमख्वार है।
भर दे झोली मेरी, अब ना खाली रहे,
कोई मायूस अब, ना सवाली रहे।
मुझसे 'शर्मा' ने कहा, जा वही माँगना,
अरे श्याम बाबा, बड़े दानी दातार है।
मेरी इज्जत है बाबा, तेरे हाथ में,
लाज रखना ना रखना, तेरा काम है,
खाली जाऊंगा अगर, तेरे दरबार से,
ताने देगा तुझे, सारा संसार है।
और कुछ भी नहीं है, मुझे चाहना,
चाहता हूँ तो बस, मैं यही मांगना।
देके दर्शन मेरी, मांग पूरी करो,
अपने से 'लख्खा' तुमको, अगर प्यार है।
ओ श्याम खाटू वाले, इतनी सी मेहर कर दे,
मेरे श्याम खाटू वाले, थोड़ी सी मेहर कर दे,
बस इतनी मेहर कर दे, झोली तू मेरी भर दे,
झोली तू मेरी भर दे।।
तू श्याम खाटू वाला, तू अहलवती का लाला,
और शीश के हो दानी, मेरे श्याम हो वरदानी,
मैं और ना कुछ मांगू, भक्ति का मुझे वर दे,
भक्ति का मुझे वर दे, झोली तू मेरी भर दे,
झोली तू मेरी भर दे।।
गज ने तुझे पुकारा, तो नंगे पैरों आए,
द्रोपदी की लाज बचाई, तुम चीर थे बढ़ाए,
बस इक नज़र जरा सी, मेरे श्याम इधर कर दे,
मेरे श्याम इधर कर दे, झोली तू मेरी भर दे,
झोली तू मेरी भर दे।।
अजामिल को कही तारा, गणिका को है उबारा,
भक्तो का मान रखते, जब भी तुझे पुकारा,
'लख्खा' तुझे मनाए, मेरे सर पे हाथ धर दे,
मेरे सर पे हाथ धर दे, झोली तू मेरी भर दे,
झोली तू मेरी भर दे।।
ओ श्याम खाटू वाले, इतनी सी मेहर कर दे,
मेरे श्याम खाटू वाले, थोड़ी सी मेहर कर दे,
बस इतनी मेहर कर दे, झोली तू मेरी भर दे,
झोली तू मेरी भर दे।।