मुझे क्या काम दुनिया से,
विरह में मैं दीवाना हूँ।।
तर्ज – मुझे है काम ईश्वर से।
प्यारे की खोज में निशदिन,
फिरा जंगल पहाड़ों में,
पता मुझको नहीं पाया,
ग़मी में मैं समाना हूँ,
मुझे क्या काम दुनिया से,
विरह में मैं दीवाना हूँ।।
किए जप नेम तप भारी,
उसे मिलने की लालच में,
मिला दर्शन नहीं मुझको,
बहुत दिन से हैराना हूँ,
मुझे क्या काम दुनिया से,
विरह में मैं दीवाना हूँ।।
किसी को योग मन भावे,
किसी को ज्ञान की चर्चा,
प्रेम सागर के पानी में,
हमेशा मैं डुबाना हूँ,
मुझे क्या काम दुनिया से,
विरह में मैं दीवाना हूँ।।
बसी दिल बीच में मेरे,
छबि दिलदार की सुंदर,
वो ‘ब्रह्मानंद’ तन मन की,
सुधि सारी भुलाना हूँ,
मुझे क्या काम दुनिया से,
विरह में मैं दीवाना हूँ।।
मुझे क्या काम दुनिया से,
विरह में मैं दीवाना हूँ।।