मुखड़ा देख ले प्राणी,
ज़रा दर्पण में हो,
देख ले कितना पुण्य है,
कितना पाप तेरे जीवन में,
देख ले दर्पण में,
मुखड़ा देख ले प्राणी ज़रा दर्पण में।।
कभी तो पल भर सोच ले प्राणी,
क्या है तेरी करम कहानी,
पता लगा ले,
पता लगा ले पड़े हैं कितने,
दाग तेरे दामन में,
देख ले दर्पण में,
मुखड़ा देख ले प्राणी ज़रा दर्पण में।।
ख़ुद को धोखा दे मत बंदे,
अच्छे ना होते कपट के धंधे,
सदा न चलता,
सदा न चलता किसी का नाटक,
दुनिया के आँगन में,
देख ले दर्पण में,
मुखड़ा देख ले प्राणी ज़रा दर्पण में।।