दोहा –
आपके दर पे रखकर उठाऊं मैं सर,
ये इबादत को मेरी, गवारा नहीं।
मेरी हालत पे मोहन, करम कीजिए,
मेरा दुनिया में कोई सहारा नहीं।
अपने बिगड़े मुकद्दर पे, लाचार हूँ,
एक निगाहे करम का, तलबगार हूँ,
दिन तो यूं भी गुजर ही रहे है मगर,
बिन तेरे करम के, गुजारा नहीं।।
पद –
पार लगा दो मेरी नैया,
मेरे सांवरे कन्हैया।
सांवरे कन्हैया,
मेरे सांवरे कन्हैया,
अब थाम लो मेरी बईयाँ,
मेरे सांवरे कन्हैया।
पार लगा दो मेरी नैया,
मेरे सांवरे कन्हैया।।
तेरे बिना श्याम कौन हमारा,
तेरे बिना नहीं मेरा गुजारा।
झूठी है सारी दुनिया,
मेरे सांवरे कन्हैया,
पार लगा दो मेरी नैया,
मेरे सांवरे कन्हैया।।
मेरी भूल पर ध्यान ना देना,
मुझको भी तुम अपना लेना।
सारे जगत के रचैया,
मेरे सांवरे कन्हैया,
पार लगा दो मेरी नैया,
मेरे सांवरे कन्हैया।।
कबसे तेरी शरण पड़ा हूँ,
दर्शन की तेरे जिद पे अड़ा हूँ।
मेरी भी लो खबरिया,
मेरे सांवरे कन्हैया,
पार लगा दो मेरी नैया,
मेरे सांवरे कन्हैया।।
‘चित्र-विचित्र’ के नाथ आप हो,
हर पल हर क्षण साथ आप हो।
पागल के नट नगरिया,
मेरे सांवरे कन्हैया,
पार लगा दो मेरी नैया,
मेरे सांवरे कन्हैया।।
पार लगा दो मेरी नैया,
मेरे सांवरे कन्हैया।
सांवरे कन्हैया,
मेरे सांवरे कन्हैया,
अब थाम लो मेरी बईयाँ,
मेरे सांवरे कन्हैया।
पार लगा दो मेरी नैया,
मेरे सांवरे कन्हैया।।