फिर से सावन की रुत आई,
मौका चूक ना जाना भाई,
दरबार में भोले शंकर के,
गंगा जल भरके चलो,
बम बम रटते चलो।।
वो ही काँवर उठाकर आते,
मेरे भोले जिसको बुलाते,
शिव शंकर की बात निराली,
कोई दर से लौटा ना खाली,
जिसने प्रेम से नाम लिया है,
भोले शंकर ने क्या ना दिया है,
ना कोई भोले जैसा दानी,
ना कोई भोले जैसा ज्ञानी,
परिवार में भोले शंकर के,
गंगा जल भरके चलो,
बम बम रटते चलो।।
जिसपे भक्ति का रंग चढ़ा है,
इस दुनिया में वो ही बड़ा है,
भोले बाबा की जिसने भक्ति,
उसका काम ना कोई अड़ा है,
देख एक बार काँवर उठा के,
और मन से तू बम बम गाके,
भोले बाबा को मना लो,
फिर जो चाहो वो ही पा लो,
दरबार में भोले शंकर के,
गंगा जल भरके चलो,
बम बम रटते चलो।।
शिव है दाता है और जग है भिखारी,
कहलाते हैं वो त्रिपुरारी,
उनके दर की है अद्भुत माया,
मैंने क्या भी बाबा से पाया,
चलो छोड़ो अब जग के झमेले,
भरके गागर अब काँधे पे ले ले,
लख्खा राज की बात बताता,
महिमा काँवर की सुनाता,
दरबार में भोले शंकर के,
गंगा जल भरके चलो,
बम बम रटते चलो।।
फिर से सावन की रुत आई,
मौका चूक ना जाना भाई,
दरबार में भोले शंकर के,
गंगा जल भरके चलो,
बम बम रटते चलो।।