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शिव भोले और गिरधारी दोनो है जग हितकारी

हिंदी

शिव भोले और गिरधारी,

दोनो है जग हितकारी,

अंतर क्या दोनो की प्रेम में बोलो,

एक दुःख से छुड़ाते,

एक पार लगाते,

एक दुःख से छुड़ाते,

एक पार लगाते।।

मोहन तो मधुबन में मिलते,

काशी में कैलाशी,

अधम उधारन कहलाते है,

वो घट घट के वासी,

एक पहने है पीताम्बर,

एक ओढ़े है बाघम्बर,

अंतर क्या दोनो के प्रेम में बोलो,

एक दुःख से उबारे,

एक भव सिंधु तारे।।

द्रोपदी की सुन टेर कन्हैया,

आकर चिर बढ़ाये,

काल बली का वध करने को,

शिव त्रिशूल उठाये,

एक चक्र सुदर्शन धारी,

एक भोले है भंडारी,

अंतर क्या दोनो के प्रेम में बोलो,

जब भक्त बुलाते,

दोनो दौड़े दौड़े आते।।

प्रेम के भूखे है ऐ ‘शर्मा’,

भोले और नटनागर,

भक्ति भाव से ही मिलते है,

भक्तों को करुणाकर,

एक राधा के बनवारी,

एक गौरा के त्रिपुरारी,

अंतर क्या दोनो के प्रेम में बोलो,

एक योगी महाज्ञानी,

एक औघड़ दानी।।

शिव भोले और गिरधारी,

दोनो है जग हितकारी,

अंतर क्या दोनो की प्रेम में बोलो,

एक दुःख से छुड़ाते,

एक पार लगाते,

एक दुःख से छुड़ाते,

एक पार लगाते।।

📜 Lyrics Source: kirtanLyrics.com