शिव नाम जपने की रात आई,
रात आई रे शिव रात आई,
शिवरात्रि आई।।
कौन गंगा को सर पे उठाता,
कौन धरती को पावन बनाता,
गंगा की तीव्रता,
कौन रोके भला,
देवताओ को तब,
शिव की याद आई,
शिव नाम जपने की रात आई,
रात आई रे शिव रात आई,
शिवरात्रि आई।।
भोले बाबा के गुणगान गालो,
अपना सोया नसीबा जगालो,
वो दयालु बड़े,
वो कृपालु बड़े,
सारी खुशियाँ हैं,
बाबा से मैंने पाई,
शिव नाम जपने की रात आई,
रात आई रे शिव रात आई,
शिवरात्रि आई।।
कबसे प्यासे हैं मेरे ये नैनन,
अब तो दे दो बाबा मुझको दर्शन,
मुझको कहता जगत,
हाँ भोले तेरा भगत,
भक्ति ‘आतिश’ की,
‘लख्खा’ है रंग लाई,
शिव नाम जपने की रात आई,
रात आई रे शिव रात आई,
शिवरात्रि आई।।
शिव नाम जपने की रात आई,
रात आई रे शिव रात आई,
शिवरात्रि आई।।