श्याम चरणों में दे दो ठिकाना,
मुझे ना कुछ और चाहिए।
श्लोक –
देख लिए दुनिया के सब सुख, देखि दुनियादारी,
अपने और पराए देखे, देखि रिश्तेदारी।
पेट भर गया है इन सबसे, तोड़ा है दिल सबने,
तभी तो आया ‘लख्खा’ शरण में, ओ खाटू श्याम बिहारी।।
श्याम चरणों में दे दो ठिकाना,
मुझे ना कुछ और चाहिए।
हाँ तू छलिया छैल छबीला है,
तू नटखट रंग रंगीला है।
तेरी सांवरिया सूरत प्यारी,
तुझपे जाऊँ मैं बलिहारी।
जग कहे मुझे तेरा दीवाना,
मुझे ना कुछ और चाहिए।
श्याम चरणों में दे दो ठिकाना,
मुझे ना कुछ और चाहिए।।
जिसको तू दर पे बुलाए ऐ सांवरिया,
दर से ना खाली लौटाए हे सांवरिया।
दौलत शोहरत बंगला गाड़ी,
बाँट दो सबको महल अटारी।
मुझे भक्ति का दे दो खजाना,
श्याम चरणों में दे दो ठिकाना,
मुझे ना कुछ और चाहिए।।
दुनिया में जिनसे दिल लगाया है सांवरिया,
धोखा हूँ उसी से मैं खाया मेरे सांवरिया।
देख लिया है मैंने कान्हा,
मतलब का है सारा जमाना।
अपनी सेवा में मुझको लगाना,
मुझे ना कुछ और चाहिए।।
क्या मैं बतलाऊँ क्या पिया है मुझे सांवरिया,
दुनिया का हर सुख दे दिया है तूने सांवरिया।
लगाके पर मुझे ऊँचा उड़ा दिया तुमने,
मैं क्या था और मुझे क्या बना दिया तूने सांवरिया।
ये ‘लख्खा’ पूछे तुमसे मेरे कान्हा,
कब होगा मेरे घर आना।
बेधड़क को तुम दर्शन दिखाना,
मुझे ना कुछ और चाहिए।।
श्याम चरणों में दे दो ठिकाना,
मुझे ना कुछ और चाहिए।
हाँ तू छलिया छैल छबीला है,
तू नटखट रंग रंगीला है।
तेरी सांवरिया सूरत प्यारी,
तुझपे जाऊँ मैं बलिहारी।
जग कहे मुझे तेरा दीवाना,
मुझे ना कुछ और चाहिए।
श्याम चरणों मे दे दो ठिकाना,
मुझे ना कुछ और चाहिए।।