श्याम के दर पे जाकर के,
ग्यारस अर्जी लगा करके,
मैंने जो मांगा मिल गया,
किस्मत का ताला खुल गया।।
बारह महीने मौज उड़ाता हूँ,
श्याम धणी का दिया ही खाता हूँ,
इनसे बड़ा ना कोई है दातार,
सारे जग को यही बताता हूँ,
यही साथी है, यही माझी है,
जो इनका प्रेमी बन गया,
किस्मत का ताला खुल गया,
श्याम के दर पर जा करके,
ग्यारस अर्जी लगा करके।।
हरपल मुझको अब ऐसा लगता,
उंगली पकड़ ये संग मेरे चलता,
इनकी दया का हाथ जो सर पर है,
तूफानों से मैं हूँ नहीं डरता,
ये साथ है, विश्वास है,
मुझे श्याम सहारा मिल गया,
किस्मत का ताला खुल गया,
श्याम के दर पर जा करके,
ग्यारस अर्जी लगा करके।।
दो दिन की तेरी जिंदगानी है,
यह दुनिया तो आनी-जानी है,
‘नमन’ करो तुम श्याम के चरणों में,
इनसे बड़ा ना कोई दानी है,
ये जान लो, ये मान लो,
जो सांवरिये का हो गया,
किस्मत का ताला खुल गया,
श्याम के दर पर जा करके,
ग्यारस अर्जी लगा करके।।
श्याम के दर पे जाकर के,
ग्यारस अर्जी लगा करके,
मैंने जो मांगा मिल गया,
किस्मत का ताला खुल गया।।