सिंघ सवारी महिमा भारी,
पहाड़ों में अस्थान तेरा।
ब्रम्हा विष्णु शिव शंकर भी,
करते माँ गुणगान तेरा।।
कोलकत्ता में काली से,
तेरे मंदिर नगर नगर में।
तेरा भरे नवरात में मेला,
तेरी पूजा हो घर घर में।
धोलागढ़ और गुड़गामे में,
भक्त धरते ध्यान तेरा।
ब्रम्हा विष्णु शिव शंकर भी,
करते माँ गुणगान तेरा।।
तने शुम्भ निशुम्भ है संहारे,
और रक्तबीज है मारे।
तने अपने भक्त उबारे,
तेरे गूंज रहे जयकारे।
द्वारपाल से भैरव जी,
और सेवक से हनुमान तेरा।
ब्रम्हा विष्णु शिव शंकर भी,
करते माँ गुणगान तेरा।।
कभी बन के दुर्गा आई,
शिव की शक्ति कहलाई।
माँ बनके द्रौपदी चंडी,
कौरव सेना खपवाई।
माँ पांचों पांडव शीश झुका के,
किया मात सन्मान तेरा।
ब्रम्हा विष्णु शिव शंकर भी,
करते माँ गुणगान तेरा।।
जो तेरा ध्यान लगावे,
माँ मन इच्छा फल पावे।
तेरा ‘राजपाल’ डोड़ी पे,
माँ बैठ तेरा गुणगान करे।
यो ‘लख्खा’ भेंटे गावे,
गुण गाते हैं वेद पुराण तेरा।
ब्रम्हा विष्णु शिव शंकर भी,
करते माँ गुणगान तेरा।।
सिंघ सवारी महिमा भारी,
पहाड़ों में अस्थान तेरा।
ब्रम्हा विष्णु शिव शंकर भी,
करते माँ गुणगान तेरा।।