तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा,
जीवन का है आधारा,
जीने का है सहारा,
तेरे दर की भिख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा ।।
हे करुणा करने वाले,
मेरी लाज रखने वाले,
तेरे ही दर से मिलता,
हर दीन को सहारा,
तेरे दर की भिख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा ।।
तेरी आस्ता के सदके,
तेरी हर गली पे कुरबां,
तेरा दर है दर हकीक़त,
मेरी जीस्त का सहारा,
तेरे दर की भिख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा ।।
तेरे प्यार की हदों को,
बस तू ही जानता है,
तुम आ गए वहीं पे,
मैंने जहाँ पुकारा,
तेरे दर की भिख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा ।।
क्यों ढूंढते फिरे हम,
तूफानों में सहारा,
तेरे हाथ में ही लहरें,
तेरे हाथ में किनारा,
तेरे दर की भिख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा ।।
मुझे बेक़रार रख कर,
मेरे दिल में बसने वाले,
जो यही है तेरी मर्ज़ी,
तेरा विरह भी है प्यारा,
तेरे दर की भिख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा ।।
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा,
जीवन का है आधारा,
जीने का है सहारा,
तेरे दर की भिख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा ।।