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तेरे दर को मै छोड़ कहाँ जाऊँ, माँ दूजा कोई द्वार ना दिखे लिरिक्स

हिंदी

दोहा – चाहे छुट जाये ज़माना,

या माल-ओ-जर छूटे,

ये महल और अटारी,

या मेरा घर छूटे,

पर कहता है ये लख्खा,

ऐ मेरी माता,

सब जगत छूटे,

पर तेरा ना द्वार छूटे।

तेरे दर को मै छोड़ कहाँ जाऊँ,

माँ दूजा कोई द्वार ना दिखे,

अपना दुखड़ा मै किसको सुनाऊँ,

माँ दूजा कोई द्वार ना दिखे।।

इक आस मुझे तुमसे है मैया,

टूटे कहीं ना विश्वास मेरा मैया,

तेरे सिवा कहाँ झोली फ़ेलाऊँ,

माँ दूजा कोई द्वार ना दिखे।।

तेरे आगे मैंने दामन पसारा है,

मुझको ऐ मैया तेरा ही सहारा है,

कहाँ जाऊँ जहाँ जाके कुछ पाऊँ,

माँ दूजा कोई द्वार ना दिखे।।

‘लख्खा’ आया मैया बन के सवाली है,

तेरे दर से गया ना कोई खाली है,

कैसे गीत मैं निराश होके गाऊँ,

माँ दूजा कोई द्वार ना दिखे।।

तेरे दर को मै छोड़ कहाँ जाऊँ,

माँ दूजा कोई द्वार ना दिखे,

अपना दुखड़ा मै किसको सुनाऊँ,

माँ दूजा कोई द्वार ना दिखे।।