तेरे दर पे आ गई हूँ,
मुश्किल है उठ के जाना,
दुनिया है मुझको भूली,
कहीं तुम ना भूल जाना,
तेरे दर पे आ गई हूँ,
मुश्किल है उठ के जाना।।
मीरा का विष का प्याला,
अमृत बना दिया था,
अब मेरी बारी आई,
करते हो क्यों बहाना,
तेरे दर पे आ गई हूँ,
मुश्किल है उठ के जाना।।
पुकारा था द्रौपदी ने,
तुम आए दौड़े-दौड़े,
अब मैं बुला रही हूँ,
तुमको पड़ेगा आना,
तेरे दर पे आ गई हूँ,
मुश्किल है उठ के जाना।।
तेरे दर पे आ गई हूँ,
मुश्किल है उठ के जाना,
दुनिया है मुझको भूली,
कहीं तुम ना भूल जाना,
तेरे दर पे आ गई हूँ,
मुश्किल है उठ के जाना।।