तेरे दर पे माँ,
जिंदगी मिल गई है।
मुझे दुनिया भर की,
ख़ुशी मिल गई है।
तेरे दर पे माँ,
जिंदगी मिल गई है।।
जमाने से जो ना मिला,
तुमसे पाया।
भटकता हुआ जब मैं,
तेरे दर पे आया।
जो दिल में थी हसरत,
वही मिल गई है।
तेरे दर पे माँ,
जिंदगी मिल गई है।।
दुखों का शिकंजा,
कसा जा रहा था।
अंधेरों में जीवन,
फंसा जा रहा था।
यही राह फिर से,
सही मिल गई है।
तेरे दर पे माँ,
जिंदगी मिल गई है।।
ये चर्चे हैं तीनों,
जहाँ में तुम्हारे।
अगर कोई दर पे,
झोली पसारे।
कहो चीज क्या जो,
नहीं मिल गई है।
तेरे दर पे माँ,
जिंदगी मिल गई है।।
तेरे दर पे माँ,
जिंदगी मिल गई है।
मुझे दुनिया भर की,
ख़ुशी मिल गई है।
तेरे दर पे माँ,
जिंदगी मिल गई है।।