तू माँ शहंशाहों की शहंशाह,
मैं ग़रीबों से भी ग़रीब हूँ।
तेरे हाथों ने लिखी किस्मतें,
जो ना बन सका मैं नसीब हूँ।
तू माँ शहंशाहों की शहंशाह।।
तेरा हर ज़ुबां पे है ज़िक्र माँ,
तुझे हर भगत की है फ़िक्र माँ।
क्यों मुझ पे नज़र करम नहीं,
क्या तेरे लिए मैं रक़ीब हूँ।
तू माँ शहंशाहों की शहंशाह।।
ख़ुशी ख़ुशनसीबों में बट गई,
रोते ज़िंदगी मेरी कट गई।
दे दी सबको भीख हयात की,
पड़ा मौत के मैं क़रीब हूँ।
तू माँ शहंशाहों की शहंशाह।।
मुझे चारागर के पास भी,
ना दवा मिली ना दुआ मिली।
मेरे दर्द से तू है बेख़बर,
या मरीज़ मैं ही अजीब हूँ।
तू माँ शहंशाहों की शहंशाह।।
तेरा बेटा मैं और तू है माँ,
ना हूँ मैं अलग और ना है तू जुदा।
निर्दोष माँ तेरे होते भी,
क्यों चढ़ गया मैं सलीब हूँ।
तू माँ शहंशाहों की शहंशाह।।
तू माँ शहंशाहों की शहंशाह,
मैं ग़रीबों से भी ग़रीब हूँ।
तेरे हाथों ने लिखी किस्मतें,
जो ना बन सका मैं नसीब हूँ।
तू माँ शहंशाहों की शहंशाह।।