श्लोक –
अब आओ हे मोहन मुरार,
भक्तो का तुम उद्धार करो।
हे रमाकांत शेषावतार,
दुखियो का बेड़ा पार करो।
हम सब संकट में जकड़े हैं,
मोहन ना देर लगाओ तुम।
हे कृष्ण कन्हैया ब्रजनंदन,
आकर के अब बचाओ तुम।।
उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन,
अब काटो सभी,
अब काटो सभी नाथ दुःख दर्द के बंधन।
उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन,
हे उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन।।
दुनिया थी दंग देख तुम्हारे कमाल को,
तुम तोड़कर के रख दिए दुश्मन के जाल को।
जाकर के कालीनाग को पलभर में पछाड़े,
गिन गिन के दाँत पापी के सब विष के उखाड़े।
गुस्से में भरके नाग जब फुफकारने लगा,
बालक समझके आपको ललकारने लगा।
घनघोर लड़ाई लड़े तुम उसके साथ में,
फन को पकड़ कुचल दिए थे बात बात में।
श्रीकृष्ण जी अब आओ लेके चक्र सुदर्शन,
उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन,
हे उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन।।
जब चाल कंसराज की कुछ काम ना आई,
तब मारने को तुमको पूतना है बुलाई।
ग्वालन का भेष धरके खेलाने लगी तुम्हे,
विष दूध के बदले में पिलाने लगी तुम्हे।
फिर लेके तुम्हे पापनी बदकार उड़ चली,
विकराल हँसी हँस के वो मक्कार उड़ चली।
तुम रक्त सभी पीने लगे उसकी शान से,
चकराके तुरत गिर पड़ी वो आसमान से।
एक पल में ही तुम हर लिए उस नीच का जीवन,
उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन,
हे उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन।।
जब ग्वालबाल पूजा तुम्हारी लगे करने,
तब इन्द्र सबपे क्रोध था भारी लगे करने।
घनघोर आँधी पानी और तूफान भी लाया,
रह रह के आसमान से वो बिजली गिराया।
ब्रज डूबने लगा तो हाहाकार मच गई,
सब और श्याम श्याम श्याम की पुकार मच गई।
तब रख लिए थे श्याम तुम भक्तो की शान को,
और तोड़ डाले 'शर्मा' इन्द्र के गुमान को।
घनश्याम तभी धारे उंगली पे गोवर्धन,
उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन,
हे उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन।।
तुम टेर सुनके भक्तो की मुकर नहीं सकते,
है कौन ऐसा कष्ट जो तुम हर नहीं सकते।
आकर के कष्ट टालो श्री श्याम प्रभु,
ऐ है मजधार से निकालो घनश्याम प्रभु।
भक्तो को अब बचालो घनश्याम प्रभु,
श्री श्याम प्रभु, श्री श्याम प्रभु।।
उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन,
अब काटो सभी,
अब काटो सभी नाथ दुःख दर्द के बंधन।
उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन,
हे उद्धार करो आके प्रभु देवकीनंदन।।