उड़े उड़े बजरंगबली जब उड़े उड़े,
उड़े उड़े बजरंगबली रे जब उड़े उड़े,
हनुमान उड़े उड़ते ही गये,
सब देख रहे हैं खड़े रे खड़े,
उड़े उड़े बजरंगबली जब उड़े उड़े।।
ओ पहली बार उड़े बचपन में,
सूरज मुँह में दबाए,
हाहाकार मचा त्रिभुवन में,
सुर-नर सब घबराए।
इंद्र देव जब क्रोधित होकर,
अपना वज्र चलाए,
पवन देव जब कुपित हुए,
सब बजरंग इन्हें बनाए।
विनती करने दर पे पवन के,
आके सुर-नर सब ही जुड़े,
उड़े उड़े बजरंगबली जब उड़े उड़े।।
दूजी बार उड़े तो फाँदे,
ये विकराल समंदर,
राम नाम ले करके कूदे,
गढ़ लंका के अंदर।
फूँक दिए सोने की लंका,
मारे वीर धुरंधर,
काम देख बजरंगबली के,
काँप गया था दशकंधर।
और तहस-नहस कर लंका को,
वापस ही आप मुड़े,
उड़े उड़े बजरंगबली जब उड़े उड़े।।
तीजी बार उड़े तो हनुमत,
पर्वत ही ले आए,
रामचंद्र के काज सँवारे,
लखन के प्राण बचाए।
‘शर्मा’ गले लगाकर रघुवर,
बोले बजरंग बाला,
जय हो जय हो तेरी,
ओ अंजनी के लाला।
‘लख्खा’ मिला दिए बजरंगबली,
देखो दो भाई बिछुड़े,
उड़े उड़े बजरंगबली जब उड़े उड़े।।
मैं अज्ञानी मूरख हूँ,
तुम बल-बुद्धि के दाता,
है अजर-अमर हो संकटमोचन,
और हो भक्त-विधाता।
तेरे चरणों में बजरंगी,
मन ये मेरा जुड़ जाए,
मारो ऐसी फूँक कि,
मेरे पाप सभी उड़ जाए।
बजरंगबली तेरे चरणों में,
आकर के हम हैं पड़े,
उड़े उड़े मेरे पाप प्रभु सब उड़े उड़े,
उड़े उड़े मेरे पाप प्रभु सब उड़े उड़े।।
उड़े उड़े बजरंगबली जब उड़े उड़े,
उड़े उड़े बजरंगबली रे जब उड़े उड़े,
हनुमान उड़े उड़ते ही गये,
सब देख रहे हैं खड़े रे खड़े,
उड़े उड़े मेरे पाप प्रभु सब उड़े उड़े।।