उसको माँ तुम निहाल करती हो,
जो भी दरबार तेरे आता है,
उसका पल पल ख्याल करती हो,
जो तुम्हें प्यार से मनाता है,
उसको माँ तुम निहाल करती हो,
उसको माँ तुम निहाल करती हो।
यही सुन कर के मैं भी आया हूं,
मेरी किस्मत को भी संवारोगी,
मैं हूं टुकड़ा माँ काच का टूटा,
क्या मुझे हीरे सा निखारोगी,
उसके सब साथ है माँ,
जिस पे तेरा हाथ है माँ,
वो ना राहों में लड़खड़ाता है,
उसको माँ तुम निहाल करती हो,
उसको माँ तुम निहाल करती हो।
झोलियां पड़ गई छोटी उनकी,
बन सवाली जो दर पे आए हैं,
पतझड़ों ने जिन्हे लूटा कल था,
फिर बहारों में मुस्कुराए हैं,
महकी ममता की कली,
माँ की जब ज्योत जली,
आने वाला ना खाली जाता है,
उसको माँ तुम निहाल करती हो,
उसको माँ तुम निहाल करती हो।
मैं यह वरदान मांगता हूं माँ,
यूं ही बस साथ तू रहे हरदम,
मैं जिधर देखूं तू नज़र आए,
कर दे कर दे तू मुझ पे इतना करम,
मैं बुराई से बचूं और तेरा नाम जपूं,
नाम लक्खा को तेरा भाता है,
उसको माँ तुम निहाल करती हो,
उसको माँ तुम निहाल करती हो।
उसको माँ तुम निहाल करती हो,
जो भी दरबार तेरे आता है,
उसका पल पल ख्याल करती हो,
जो तुम्हें प्यार से मनाता है,
उसको माँ तुम निहाल करती हो,
उसको माँ तुम निहाल करती हो।