वृंदावन धाम हमें तो,
प्राणों से भी प्यारा है,
तीनों लोकों को रसिकों ने,
वृंदावन पे वारा है,
मैं भी बस जाऊं वहाँ,
मैं भी बस जाऊं वहाँ,
जहाँ यमुना किनारा है,
बहे प्रेम की धारा है।।
वृंदावन धाम हृदय है,
प्यारे कुंज बिहारी का,
वृंदावन में राज है चलता,
मेरी श्यामा प्यारी का,
इन कुंज गलियों का,
इन कुंज गलियों का,
बड़ा सुंदर नज़ारा है,
सुख बरसे अपारा है,
बड़ा सुंदर नज़ारा है,
सुख बरसे अपारा है।।
वृंदावन की लता-पत्ता भी,
राधे राधे गाती है,
वृंदावन की लीला प्यारी,
मेरे मन को भाती है,
ये दिल मेरा कहता है,
ये दिल मेरा कहता है,
नहीं कोई हमारा है,
वृंदावन में गुज़ारा है,
नहीं कोई हमारा है,
वृंदावन में गुज़ारा है।।
धन वृंदावन धाम रंगीलो,
धन वृंदावन वासी है,
वृंदावन के रसिक धन्य जो,
श्यामा श्याम उपासी है,
ये ‘चित्र विचित्र’ कहे,
ये ‘चित्र विचित्र’ कहे,
पागल ने विचारा है,
यही भक्ति का द्वारा है,
पागल ने विचारा है,
यही भक्ति का द्वारा है।।
वृंदावन धाम हमें तो,
प्राणों से भी प्यारा है,
तीनों लोकों को रसिकों ने,
वृंदावन पे वारा है,
मैं भी बस जाऊं वहाँ,
मैं भी बस जाऊं वहाँ,
जहाँ यमुना किनारा है,
बहे प्रेम की धारा है।।