ये खबर फैला दो संसार में,
ढिंढोरा पिटवा दो बाजार में,
जो चाहे वो ले लो, ले लो,
मेरे श्याम के दरबार में।।
श्लोक –
रहोगे दूर चौखट से, तो फिर खोना ही खोना है,
तेरी किस्मत में ऐ “लख्खा”, फिर रोना ही रोना है,
ये दुनिया कुछ ना देगी, चल मेरे श्याम के दर पे,
इधर पीतल ही पीतल है, उधर सोना ही सोना है।।
हिरे लेलो मोती लेलो, लेलो चाँदी सोना,
भर देंगे मेरे श्याम धणी, तेरे घर का कोना कोना,
नहीं रहेगा ‘लख्खा’ तुमको, किसी बात का रोना,
ना दानी ना दाता, ना दानी कोई दाता,
मेरा श्याम सा संसार में।।
कोई नहीं जाता है आके, श्याम के दर से खाली,
मुँह माँगा वर पाते है, सब आकर यहां सवाली,
जाने कितनो ने आकर, अपनी तक़दीर बना ली,
लुटा देते है सब बाबा, अपने भक्तो के प्यार में।।
भरी सभा में इक अबला, जब देने लगी दुहाई,
मुरली वाले किशन कन्हैया, आके लाज बचाई,
उसका कोण बिगाड़े ‘लख्खा’, जिसके श्याम सहाई,
श्याम भगत की डूबे ना नैया, कभी मजधार में।।
ऐसा मौका बार बार, फिर और नहीं पाओगे,
चूक गए जो आज फिर तो, जीवन भर पछताओगे,
कोई नहीं देगा जो ये दर, छोड़ के तुम जाओगे,
ऐ ‘शर्मा’ सबकुछ भरा हुआ, मेरे बाबा के भंडार में।।
ये खबर फैला दो संसार में,
ढिंढोरा पिटवा दो बाजार में,
जो चाहे वो ले लो, ले लो,
मेरे श्याम के दरबार में।।